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 उत्तर प्रदेश सरकार

अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान
संस्कृति विभाग, उ0प्र0

तुलसी स्मारक भवन ,अयोध्या, उत्तर प्रदेश (भारत) 224123.
सम्पर्कः : +91-9532744231

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अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान संस्कृति विभाग, उ0प्र0

इतिहास

भौगोलिक स्थिति, स्थल और परिस्थिति अयोध्या गौरवपूर्ण अतीत से युक्त एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान होने के साथ-साथ भगवान राम तथा भगीरथ की पावन जन्म स्थली होने के कारण भारतीय जन-समुदाय तथा भारत के कोने-कोने से आये हुए तीर्थ यात्रियों के आकर्षण का मुख्य केन्द बिन्दु रहा है । अयोध्या का वर्तमान नगर जिसे ‘मंदिरों का […] Read More

अयोध्या का वर्णन 1875 की पुस्तक ए हैंडबुक फोर विजिटर्स टू लखनऊ जो कि एक अंग्रेज इतिहासकार एच. जई. कीन द्वारा लिखित है में पाया जाता है। वह निम्न प्रकार है । इसने 1862-63 की भारतीय पुरातत्त्व सर्वक्षण की रिपोर्ट में अयोध्या का विवरण भी सम्मिलित है । The two principal towns of this Province, […]Read More
  1.  Quoted’, R. K. Mukherji’s: Fundamental unity of India. Bhawan’s book university, 1954.p.38.
  2.  Adipuram, 12.78
  3.  Law, B.C.: The historical geography of Ancient India (in Hindi) Lucknow, 1972. p.114
  4. . Aitrey Brahman VII. 3-4
  5.  Bhagwat Puran IX.8-19 6. Skandh Puran, I, 64-65 7. Cunningham, A: A Historical Geography of Ancient India (in Hindi) […]
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स्वतंत्रता के पश्चात लगभग 56 वर्ष की अल्पावधि में यद्यपि नगर का बाहय प्रसार नहीं हुआ हैं, तथापि  बहुत से ध्वस्थ मंदिरों का जीर्णोद्धार, शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना, पार्कों एवं उद्यानों- का निमार्ण एवं सौंदर्यीकरण, कतिपय स्थानीय प्रशासनिक कार्यालयों की स्थापना, सार्वजनिक एवं अर्द्ध सार्वजनिक सुविधाओं से सम्बन्धित इसके सांस्कृतिक भूदॄश्य में परिवर्तन हुए है, […]Read More
अग्रेजों का शासन प्रारम्भ होने से नगर के सांस्कृतिक भूदॄश्य में काफी परिवर्तन हुआ । अंग्रेजों ने यहॉ की सकरी गलियों को चोड़ा करवाया, पक्की सड़के बनवायी, रेल परिवहन की सुविधा हो जाने के फलस्वरूप भारत तथा अन्य राज्यों के अनेक राजा-महराजाओं ने यहॉ बड़े-बडे मंदिर बनवा दिये । ध्वस्त मंदिरों का पुनर्निर्माण हुआ, मंदिरों […]Read More
पूर्व मध्यकाल में मुस्लिम शासकों के अधिनस्थ अयोध्या ने पुन: एक प्रादेशिक राजधानी के रुप में महत्ता प्राप्त की । तथापि यह हिन्दुओं का पवित्र धार्मिक केन्द्र था। प्रारम्भिक मुस्लिम काल में यहॉ श्रीवास्तव राजा प्रबल  थे ।23 इस समय यहॉ तीन मंदिर जन्म-स्थान, स्वर्गद्वार और त्रेता का ठाकुर मुख्य थे । अयोध्या के रामकोट […]Read More
सांस्कृतिक भूदृश्य का विकास प्राचीन काल वेदत्रयी में स्पष्ट रुप से न तो कोसल ओंर न ही उसकी राजधानी अयोध्या का उल्लेख है । केवल अथर्ववेद में राजधानी का उल्लेख प्राप्त होता है । जिसमें अयोध्या को देवताओं  द्वारा निर्मित स्वर्ग की भांति समृद्धशाली बताया गया है । अथर्ववेद में लिखा है |- अष्ट चक्रा […]Read More
प्राचीन समय में अयोध्या का नाम कोशलदेश था । अथर्ववेद के अनुसार यह देवताओं द्वारा निर्मित शहर था और अपने आप में इतना समृद्ध था जैसे कि स्वर्ग । यहाँ के उदार राजवंश के राजा इक्ष्वाकु सूर्यवंश के थे । परम्परानुसार राजा इक्ष्वाकु वैवस्तत मनु के सबसे बड़े पुत्र थे जिन्होंने अयोध्या की स्थापना की […]Read More

अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान

अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान की स्थापना संस्कृति विभाग, उ०प्र० शासन द्वारा एतिहासिक तुलसी भवन, अयोध्या में 18 अगस्त, 1986 को की गयी। यह संस्कृति विभाग की स्वायत्तशासी संस्था है। वस्तुतः अयोध्या की पावन भूमि पर सरयु के तट स्थित रामघाट के निकट गोस्वामी तुलसीदास जी ने सम्वत्‌ 1631 की नवमी तिथि भौमवार को श्रीरामचरित मानस की रचना प्रारम्भ की

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कैंप कार्यालय

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अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान

अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान की स्थापना संस्कृति विभाग, उ०प्र० शासन द्वारा एतिहासिक तुलसी भवन, अयोध्या में 18 अगस्त, 1986 को की गयी। यह संस्कृति विभाग की स्वायत्तशासी संस्था है। वस्तुतः अयोध्या की पावन भूमि पर सरयु के तट स्थित रामघाट के निकट गोस्वामी तुलसीदास जी ने सम्वत्‌ 1631 की नवमी तिथि भौमवार को श्रीरामचरित मानस की रचना प्रारम्भ की
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