राजघराना
सीता की रसोई
सीता की रसोई जन्मोस्यान (जा रामकोट में स्थित है) की उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित है। इस मंदिर मैं राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न की मूर्तियां उनकी पत्नियों सीता, उर्मिला माडवी, श्रुतिक्रीति के साथ स्थापित है । सीता इस रररोइं में पहली बार अपने परिवारजनों के लिए भोजन पका रही है। बेलन, चकल इस स्थान के मुख्य आकर्षण है।
कोप भवन
कनक भवन हनुमान गढ़ी की दायी दिशा में स्थित है। उसी के समीप कोप भवन स्थित है। यह लोगों की धारणा है कि रानी कैकेयी ने महाराजा दशरथ से कुछ वर्ष पूर्व दो वरदान माँगे थे तथा वचन लिया था कि उचित समय आने पर वरदान देने के वचन को पूर्ण किया जाय। मंदिर में, रानी कैकेयी की मूर्ति क्रोध की मुद्रा में है और महाराजा दशरथ की मूर्ति उदास की मुद्रा में है राम और लक्ष्मण की मूर्तियां हैं जो महराजा दशरथ से वन जाने की अनुमति मांग रहे हैं साथ साथ मंथरा की भी मूर्ति जो इस षड़यंत्र की रचियता थी। यह अयोध्या का एक चर्चित मंदिर है।
हनुमान गढ़ी
हनुमान गढ़ी एक किले में स्थित है जिसका द्वार रामकोट पश्चिम दिशा में है । हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त थे । इस मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने किया था । कुछ वर्ष बाद, नवाब मंसूर अली ने एक किला इस मंदिर के बाहर बनवाया। इस किले का निर्माण टिकैत राय ने किया था । इस मंदिर में हनुमान जी की एक स्वर्ण मूर्ति स्थापित है । हनुमान गढ़ी का कार्यभार चार संतों, हरिद्वार पट्टी बसंतिया पट्टी उजैनिया पट्टी और सागर पट्टी को सौंपा गया है । इन संतों में अपना प्रमुख और उप-प्रमुख होते हैं जिंनको गद्दीनशीन कहा जाता है। इस मंदिर में श्री हनुमान जयन्ती हर्षोल्लास के साथ मनायी जाती है ।