परंपरा
प्रमुख उत्सव : त्यौहार
परिक्रमा / देवउत्थान
एकादशी /कल्पवास अयोध्या में श्रृंद्धालु भक्त कार्तिक कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तक राम माह का कल्पवास करते हैं। कल्पवास अवधि में भक्त अयोध्या में अपने गुरुद्वारे मंदिर या धर्मशाला अथवा किराये के कक्षों में निवास करतै हैं ओर प्रात: व सायं सरयू स्नान, सूर्य पूजन संध्या मंदिरों में आरती पाठ स्तुति करते हैं कल्पवास अवधि में अल्पाहार करते हैं।
होली
भगवान के स्वरूप को लोग राजा अयोध्या के यहाँ लेकर जाते हैं राजा अयोध्या द्वारा भगवान की पूजा आरती तथा भोग लगाया जाता है फिर उन पर अबीर गुलाल से होली खेली जाती है बाद में सब लोग होती खेलते हैं।
श्री राम विवाह
मार्गशीष (अगहन) माह की पंचमी को पारम्परिक रूप से भगवान का प्रतिवर्ष विवाह आयोजन होता है। इसमें प्रत्येक मंदिर से राम की प्रतिमा तथा कुछ मंदिरों में राम के स्वरुप (दुल्हा सरकार) की बारात निकाली जाती है। बारात अपने मंदिर के सामने गाजे-बाजे व बाराती के साथ आता है। मंदिरों में जनकपुर के निवासी लोग बारात का स्वागत करते हैं और पुष्प वर्षा करते हैं। स्वागत गान के उपरान्त द्वार पूजा एवं वैदिक रीति के अनुरुप राम-सीता, भरत-मांडवी, लक्ष्मण-उर्मिला व शत्रुघ्न-शुतिक्रीर्ति का पाणिग्रहण भांवर आदि का आयोजन होता है।
दशहरा
रामलीला का आयोजन, राजगद्दी, रावण वध, भरतमिलाप
दीपावली
प्रकाशक उत्सव के रूप में सजावट
हनुमान जयन्ती
हनुमान जी का जन्मोत्सव नरकचौदस रात्रि 12 बजे
शिव बारात / शिवरात्रि
भगवान शिव की बारात निकाली जाती है तथा शिव लिंग को दूध से स्नान व श्रृंगार कराया जाता है।
शरद पूर्णिमा
दन्तधावन कुण्ड में शेषशैया पर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की झांकी।
तुलसी विवाह
मन्दिरों में तुलसी विवाह का आयोजन।
स्थानीय परम्पराएं
सम्पूर्ण विश्व में भारत अपनी सांस्कृतिक विरासत के कारण अपना एक विशेष स्थान रखता है। इस सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने में धार्मिक नगरी का अपना विशिष्ठ रथान है। पारम्परिक रूप से मनाये जाने वाले उत्सव व पर्व को देखने देश-विदेश से बहुत पर्यटक आते हैं, जिसमें प्रमुख प्रयाग, हरिद्वार व उज्जैन का कुम्भ मेल., प्रयाग व कुल्लू का दशहरा जगन्नाथ रथ यात्रा, वृन्दावन बरसाने की होरी, अयोध्या का रामजन्म, आदि।