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 उत्तर प्रदेश सरकार

अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान
संस्कृति विभाग, उ0प्र0

तुलसी स्मारक भवन ,अयोध्या, उत्तर प्रदेश (भारत) 224123.

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अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान संस्कृति विभाग, उ0प्र0

कुण्ड

दशरथ कुण्ड

अयोध्या से दर्शन नगर मार्ग पर यह कुण्ड आसिफबाग मुहल्ले में स्थित है। इस कुण्ड का नामकरण भगवान राम के पिता दशरथ के नास से हुआ। मान्यता है कि इस कुण्ड में स्नान करने से मानवमात्र की सभी इच्छायें पूर्ण होती हैं।

विभीषण कुण्ड

विभीषण कुंड, अयोध्या से राजघाट मार्ग पर डाकघर के समीप स्थित है। इस कुंड में स्नान करने के उपरान्त सभी इच्छायें पूर्ण हो जाती हैं।

विद्या कुण्ड

विद्या कुण्ड अयोध्या नगरी में अयोध्या- दर्शननगर सड़क पर स्थित है। श्रुद्धालु इस कुंड में स्नान करने के उपरान्त विद्या देवी के दर्शन प्राप्त करते हैं । हर अष्टमी में इस स्थान पर पूजा करने पर सभी इच्छायें पूर्ण होती हैं।

दन्त धावन कुण्ड

दन्त धावन कुंड हनुमान गढ़ी के निकट स्थित है । पौराणिक धारणा के अनुसार भगवान राम इस स्थान पर अपने भाईयों के साथ दाँत साफ करते थे। एक चर्चित कथा के अनुसार इस स्थान पर कौनडिल्य ब्राह्मण निवास करते थे। कौनडिल्य हिरण की खाल पर बैठते थे । एक दिन खाल कुंड ने गिर गयी। कुंड में गिरने के उपरान्त खाल एक जीवित हिरण में परिवर्तित हो गयी। अपनी मृत्यु से पूर्व ऋषि ने बताया कि वह अपने पूर्व जन्म में एक व्यापारी थे। मृत्यु के उपरान्त ऋषि को तुलसी की पूजा करने का वरदान दिया गया और कुंड के पानी के स्पर्श के बाद ऋषि अपने जन्म के पापो से मुक्त हो गये । इस कुंड की महत्ता राम नवमी के पर्व से जुड़ी है।

ब्रह्म कुण्ड

ब्रह्म कुंड, अयोध्या नगरी में टेढ़ी बाजार से राजघाट के मार्ग में स्थित है । प्राचीन धारणा के अनुसार इस स्थान पर एक यज्ञ , भगवान ब्रह्मा द्वारा किया गया था । इस कुण्ड के समीप ब्रह्मलोक का मंदिर स्थित है । एक सिख मंदिर भी वहीं पर है । लोगों की धारणा के अनुसार गुरु नानक देव जब अयोध्या आये थे तो उन्हें भगवान ब्रह्मा के साक्षात दर्शन हुए थे।

अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान

अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान की स्थापना संस्कृति विभाग, उ०प्र० शासन द्वारा एतिहासिक तुलसी भवन, अयोध्या में 18 अगस्त, 1986 को की गयी। यह संस्कृति विभाग की स्वायत्तशासी संस्था है। वस्तुतः अयोध्या की पावन भूमि पर सरयु के तट स्थित रामघाट के निकट गोस्वामी तुलसीदास जी ने सम्वत्‌ 1631 की नवमी तिथि भौमवार को श्रीरामचरित मानस की रचना प्रारम्भ की

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कैंप कार्यालय

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अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान

अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान की स्थापना संस्कृति विभाग, उ०प्र० शासन द्वारा एतिहासिक तुलसी भवन, अयोध्या में 18 अगस्त, 1986 को की गयी। यह संस्कृति विभाग की स्वायत्तशासी संस्था है। वस्तुतः अयोध्या की पावन भूमि पर सरयु के तट स्थित रामघाट के निकट गोस्वामी तुलसीदास जी ने सम्वत्‌ 1631 की नवमी तिथि भौमवार को श्रीरामचरित मानस की रचना प्रारम्भ की
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