Skip to content Skip to footer
(Type a title for your page here)

 उत्तर प्रदेश सरकार

अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान
संस्कृति विभाग, उ0प्र0

तुलसी स्मारक भवन ,अयोध्या, उत्तर प्रदेश (भारत) 224123.
सम्पर्कः : +91-9532744231

Seal_of_Uttar_Pradesh.svg

अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान संस्कृति विभाग, उ0प्र0

भौगोलिक परिचय

भौगोलिक परिचय​

भौगोलिक स्थिति, स्थल और परिस्थिति
अयोध्या गौरवपूर्ण अतीत से युक्त एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान होने के साथ-साथ भगवान राम तथा भगीरथ की पावन जन्म स्थली होने के कारण भारतीय जन-समुदाय तथा भारत के कोने-कोने से आये हुए तीर्थ यात्रियों के आकर्षण का मुख्य केन्द बिन्दु रहा है । अयोध्या का वर्तमान नगर जिसे मंदिरों का नगर’ भी कहते हैं प्राचीन नगर के स्थान उत्तरी पूर्वी कोने तक ही सीमित है, केवल 5 किमी लम्बा एवं 2 किमी चौड़ा है । परन्तु इसका आधा क्षेत्र भी बचा नही है और सम्पूर्ण क्षेत्र जर्जर अवस्था का संकेत है करता है । यहाँ अन्य प्राचीन नगरों के स्थानों की खण्डित मूर्तियाँ एवं कलापूर्ण स्तम्भों के ढके उन्नत टीले नहीं हैं फैजाबाद नगर जो हिन्दू- मुस्लिम संस्कृति का संगम स्थल है 7 किमी लम्बा एवं 3 किमी चौड़ा है, मुख्य रुप से अयोध्या के खण्डरों से निकाली गयी सामग्री से बना हुआ है । दोनो नगर कुल मिलाकर प्राय: 6 वर्ग मील अथवा राम की प्राचीन राजधानी के सम्भावित आकार के लगभग आधे भाग में विस्तृत है|

अयोध्या नगर सरयू (घाघरा) ___ दाहिने किनारे पर 26048’ उत्तरी आक्षांश एवं 820 31′ पूर्वी देशान्तर में फैज़ाबाद नगर से 8 किमी उत्तर-पूर्व की ओर स्थित है । यह उत्तर रेलवे के लखनऊ-मुग़लसराय बड़ी लाइन पर स्थित है । सरयू नदी पर नवनिर्मित रेलवे पुल बन जाने से अब यह नगर गोण्डा एवं गोरखपुर से रेल मार्ग द्वारा जुड़ गया है । अयोध्या रेलवे स्टेशन नगर से 1/2 किमी दक्षिण की ओर है । लखनऊ से गोरखपुर की ओर जाने वाला राष्ट्रीय उच्च मार्ग नगर के बीच से होकर गुजरता है । नगर से एक पक्की सड़क अयोध्या के बीच से दक्षिण की ओर दशर्ननगर में फैज़ाबाद से जौनपुर-बनारस’ की (ओर जाने वालीं सड़क में मिलती है । नवनिर्मित बाईपास मार्ग नयाघाट (अयोध्या) से सहादतगंज (फैज़ाबाद) तक लगभग 16 किमी की लम्बाई में अयोध्या- फैज़ाबाद नगर के पूर्वी सीमान्त क्षेत्र से वक्राकार रुप में सहादतगंज के समीप फैज़ाबाद-लखनऊ राष्ट्रीय उच्च मार्ग में मिल जाती है ।

अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान

अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान की स्थापना संस्कृति विभाग, उ०प्र० शासन द्वारा एतिहासिक तुलसी भवन, अयोध्या में 18 अगस्त, 1986 को की गयी। यह संस्कृति विभाग की स्वायत्तशासी संस्था है। वस्तुतः अयोध्या की पावन भूमि पर सरयु के तट स्थित रामघाट के निकट गोस्वामी तुलसीदास जी ने सम्वत्‌ 1631 की नवमी तिथि भौमवार को श्रीरामचरित मानस की रचना प्रारम्भ की

Subtitle
कैंप कार्यालय

Some description text for this item

अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान

अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान की स्थापना संस्कृति विभाग, उ०प्र० शासन द्वारा एतिहासिक तुलसी भवन, अयोध्या में 18 अगस्त, 1986 को की गयी। यह संस्कृति विभाग की स्वायत्तशासी संस्था है। वस्तुतः अयोध्या की पावन भूमि पर सरयु के तट स्थित रामघाट के निकट गोस्वामी तुलसीदास जी ने सम्वत्‌ 1631 की नवमी तिथि भौमवार को श्रीरामचरित मानस की रचना प्रारम्भ की
कैंप कार्यालय

कॉपीराइट ©2024 अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान उ.प्र.| सॉफ्टजेन टेक्नोलॉजीज द्वारा डिजाइन व डेवलप