उद्देश्य
प्रमुख उद्देश्य
1. सामान्य रूप से अयोध्या की कला संस्कृति एवं साहित्य, लोक साहित्य, इतिहास और परम्पराओं की पाण्डुलिपियों तथा वस्तुओं और शिल्प तथ्वों का संग्रह संरक्षण एवं अध्ययन करना है
2. अवध की संस्कृतिक विरासत से संबंधित नष्ट और विलुप्त हो रही पुरालेखीय सामग्री को सुरक्षित रखना।
3. अवध की भारतीय विद्या, कला, संस्कृति और इतिहास में विशेष रूप से अयोध्या, रामायण और तुलसीदास के साहित्य और दर्शन से संबंधित शोध कार्य को प्रोत्साहन देना और पूरा करना।
4. सामाजिक, धार्मिक, साहित्यक, कलात्मक और ऐतिहासिक महत्व पाण्डुलिपियों पुरालेखीय सामग्री और अन्य वस्तुओं का उनके उन्नयन संरक्षण और अध्ययन हेतु एक संग्रहालय स्थापित करना।
5. वैष्णव भक्ति, भक्ति आंदोलन, कला संस्कृति और सम्बद्घ भाषाई और भारतीय विद्या से संबंधित अन्य अध्ययन संचालित कराना।
6. महत्वपूर्ण मूल पाठों की सूचियों, आलोचनात्मक संस्करणों और अनुवादों तथा कार्यो कके परिणामी को प्रकाशित कराना तथा अन्य उपयोगी प्रकाशनो को प्रकाशित कराना।
7. उपर्युक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने तथा आगे बढ़ाने के लिये भारत और विदेशों के विश्वविद्यालयों, संग्रहालयों पुस्तकालयों और अन्य शिक्षण संस्थाओं से सहयोग करके कार्य करना।
8. व्याख्यानों संगोष्ठियों, उत्सवों, सम्मलेनों और अन्य शैक्षिक तथा सांस्कृतिक क्रिया-कलापों का आयोजन कराना तथा इस सोसाइटी के उद्दश्यों से संबंधित क्रिया-कलापों में लगे हुए शोध द्दात्रों और लेखको को द्दात्रवृत्तियॉ, वृत्तिकायें और पुरस्कार प्रदान करना।
9. धन, वस्तु या सहमति के रूप में अनुदानों, चन्दो, उपहारो, अंशदानो को स्वीकार करना। अयोध्या शोध संस्थान सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम 21, 1860 के अन्तर्गत पंजीकृत है। अयोध्या शोध संस्थान का अपना संविधान है और संस्थान के पदेन अध्यक्ष, सचिव, संस्कृति विभाग, उ०प्र० शासन है। संस्थान के संचालन हेतु सामान्य सभा, कार्यकारिणी परिषद, शोध और विकास समिति तथा वित्त समिति गठित है।