अग्रेजों का शासन प्रारम्भ होने से नगर के सांस्कृतिक भूदॄश्य में काफी परिवर्तन हुआ । अंग्रेजों ने यहॉ की सकरी गलियों को चोड़ा करवाया, पक्की सड़के बनवायी, रेल परिवहन की सुविधा हो जाने के फलस्वरूप भारत तथा अन्य राज्यों के अनेक राजा-महराजाओं ने यहॉ बड़े-बडे मंदिर बनवा दिये । ध्वस्त मंदिरों का पुनर्निर्माण हुआ, मंदिरों की सख्या में बृद्धि होने के साथ-साथ मुख्य सड़क के दोनों ओर तथा राजसदन से सटे पश्चिम में मुख्य व्यापारिक क्षेत्र की स्थापना हुई । इस व्यापारिक क्षेत्र का नाम रानीबाजार था जो अपने पूर्व रुप में आज विद्यमान नहीं है| अन्य नगरों की तुलना में यहॉ किसी प्रकार के उद्योग धंधे या प्रशासनिक कार्यालयों की स्थापना न होने से इसके नगरीय भूदृश्य का बाहय प्रसार नहीं हो पाया और यह “मंदिरों का नगर” के रुप में विद्यमान रहा ।